पिता अभिव्यक्ति है
पिता सृष्टि निर्माण की अभिव्यक्ति है ।
मेरा जीवन अवलम्बन मेरी शक्ति है ।।
पिता मेरे सखा सहेली मेरे मित्र है ।
जो जीवन मेरा संभाले वो चित्र है ।।
उंगली पकड़ चलाये बनते सहारा ।
प्यार में डांटे जब तो हो जाते खारा ।।
ज्ञान व्यवहारिक दे सिखाते संस्कार ।
उसी ज्ञान तले बरतते है हम संसार ।।
अध्यापक सदृश सिखाते अनुशासन ।
उसी मूल मन्त्र से सीखते है प्रशासन ।।
जन्म से अब तक पिता मार्ग दिखाते ।
कभी कठोर हो हमको आँखे दिखाते ।।
मैं परिन्दा हूँ , पिता मेरा है आसमान ।
उनके आशीर्वाद से पा रही हूँ सम्मान ।।
मेरे पिता से ही मेरी माँ का सुहाग है ।
पिता से परिवार के बीच प्रेम राग है ।।
डॉ मधु त्रिवेदी
आगरा (उत्तर प्रदेश )