पिता,पिता होता है
पिता, पिता होता है,
माँ नहीं होता।
उसके पास होते हैं
दो विशाल कंधे•••
जिस पर बिठा
अपने बच्चों को
दुनिया घुमाना चाहता है।
एक पहाड़ जैसा सीना•••
जिसमें वो अपनी
सारी ज़रूरतें,दुःख दर्द
छुपा के रखता है।
दो मज़बूत हाथ•••
जो उछाल देते हैं
आसमां की तरफ
अपने बच्चे को
विश्वास दिलाते हुए
कि गिरने नहीं देंगे
थाम लेंगे गिरने से पहले।
दो आँखे•••
जो सपने देखती हैं
सिर्फ बच्चों के
उज्जवल भविष्य के।
और एक खाली पासबुक•••
जिसमें जमा
उसकी हाड़-तोड़ कमाई
घटती जाती है,
उन सपनों को
साकार करने में।
पिता ,पिता होता है,
माँ नहीं होता।
हाँ ….
माँ के अभाव में
पिता
माँ भी हो जाता है ।।
धीरजा शर्मा