Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Apr 2024 · 1 min read

पिछले पन्ने 4

सुबह और शाम में परिवार के सभी बच्चों को नियमित रूप से दरवाजे पर मास्टर साहब पढ़ाते थे। शाम में छह बजे से रात नौ बजे तक हमारी पढ़ाई लिखाई होती थी। उस समय गाॅंव में बिजली नहीं थी, इसलिए हम लोग सभी बच्चे अपने-अपने साथ में लालटेन लेकर दरवाजे पर पढ़ने आते थे। इससे वहाॅं तीन-चार लालटेन तो हो ही जाता था। लालटेन की रोशनी को कभी कम और कभी अधिक करना हमलोगों का महत्वपूर्ण कार्य था। शीशा काला हो जाने पर उसे खोलकर साफ करते थे, जिसमें कभी कभी हम लोगों का हाथ भी जल जाता था। हम लोगों का यह क्रियाकलाप सामने का कोई व्यक्ति अगर देखता, तो निश्चित सोचता कि हम लोग पढ़ने के प्रति कितने संवेदनशील हैं,पर बात थी ठीक इसकी उल्टी। जहाॅं हम लोग पढ़ते थे वहीं थोड़ी दूर पर ही बाबूजी, चाचा जी और गाॅंव के कुछ लोग रेडियो पर समाचार सुनते और तरह-तरह की चर्चा भी करते रहते थे। वहाॅं दिन भर या पिछले दिन चोरी करने वाले नौकरों को भी कुछ ना कुछ सजा दी जाती थी। हम लोग पूरे मनोयोग से यह सब देखते और सुनते थे,जैसे कि ये सब सिलेबस में हो। बड़ा आनन्द आता था। इसी कारण से दिए गए टास्क को नहीं पूरा कर पाते और उसके बाद मास्टर साहब के द्वारा जमकर धुनाई होती थी। यह सब एक नियमित दिनचर्या हो गया था, इसलिए इसमें हम लोग अपना अपमान नहीं समझते थे।

Language: Hindi
124 Views
Books from Paras Nath Jha
View all

You may also like these posts

"" *भारत माता* ""
सुनीलानंद महंत
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
झूम मस्ती में झूम
झूम मस्ती में झूम
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
जब  बगावत  से  हासिल  नहीं  कुछ  हुआ !
जब बगावत से हासिल नहीं कुछ हुआ !
Neelofar Khan
#तुलसी/दोहे
#तुलसी/दोहे
Rajesh Kumar Kaurav
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
Manoj Mahato
2584.पूर्णिका
2584.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
रोना धोना
रोना धोना
Khajan Singh Nain
तुर्की में आए भूकंप पर मेरे विचार
तुर्की में आए भूकंप पर मेरे विचार
Rj Anand Prajapati
Raahe
Raahe
Mamta Rani
कहाँ लोग सुनेला
कहाँ लोग सुनेला
आकाश महेशपुरी
मोर पुक्की के दाई
मोर पुक्की के दाई
Ranjeet kumar patre
- मेरा जीवन हो गया अब पूर्णत साहित्य को समर्पित -
- मेरा जीवन हो गया अब पूर्णत साहित्य को समर्पित -
bharat gehlot
मैं भी तो प्रधानपति
मैं भी तो प्रधानपति
Sudhir srivastava
मौसम और जलवायु
मौसम और जलवायु
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
वह कौन सा नगर है ?
वह कौन सा नगर है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
नाचेगा चढ़ शीश पर, हर ओछा इंसान
नाचेगा चढ़ शीश पर, हर ओछा इंसान
RAMESH SHARMA
तलाश ए ज़िन्दगी
तलाश ए ज़िन्दगी
ओनिका सेतिया 'अनु '
#जीवन_का_सार...
#जीवन_का_सार...
*प्रणय*
दोहा पंचक. . . . .  उल्फत
दोहा पंचक. . . . . उल्फत
sushil sarna
" समान "
Dr. Kishan tandon kranti
sp71 अपनी भी किस्मत क्या कहिए
sp71 अपनी भी किस्मत क्या कहिए
Manoj Shrivastava
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तमन्ना है बस तुझको देखूॅं
तमन्ना है बस तुझको देखूॅं
Monika Arora
"कड़वी ज़ुबान"
Yogendra Chaturwedi
जगदम्ब भवानी
जगदम्ब भवानी
अरशद रसूल बदायूंनी
अपने मन में डूब-डूब कर मैं खुद से ना मिल पाउं।
अपने मन में डूब-डूब कर मैं खुद से ना मिल पाउं।
शशि "मंजुलाहृदय"
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...