Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2022 · 1 min read

पिंजरबद्ध प्राणी की चीख

पिंजरबद्ध प्राणी चीख रहा
हमें भी निर्गत, उद्गत होने दो
इन दास्ताओं में मत बाँधो
इनसे तुम्हें क्या मिलता है ?
कैद पिंजरे मे रहने से हमें
ऐसा प्रतीत होता सतत ही
जैसे मुझमें न कोई प्राण
सिर्फ कंकाल ही बचा हैं
हमें भी खुली आसंमा में
स्वतंत्रता की सांस लेने दो
मत करो कैद मुझे …..
मुझे भी बंधन मुक्त रहने दो।

ऐसा कई बार हुआ हमारे
इन मित्रों, बंधुओं के संग
बरसों पार्श्व जब इनकों
इन बंधनों से किया मुक्त
उस वक्त तक वो उड़ान
भरना भी भूल चूके थे
मत करो कैद हमें ……
मत बाँधो जंजीरो में
जीते जी मर जाते हम
कैद सी इन दीवारों में
घुट- घुट के मरते रहते…
हमें भी जीने का स्वत्व दो ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
1 Like · 443 Views

You may also like these posts

8) वो मैं ही थी....
8) वो मैं ही थी....
नेहा शर्मा 'नेह'
हारता वो है जो शिकायत
हारता वो है जो शिकायत
नेताम आर सी
बरसात का मौसम सुहाना,
बरसात का मौसम सुहाना,
Vaishaligoel
शायद.....
शायद.....
Naushaba Suriya
3452🌷 *पूर्णिका* 🌷
3452🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
वही वक्त, वही हालात लौट आया;
वही वक्त, वही हालात लौट आया;
ओसमणी साहू 'ओश'
हनुमान जन्म स्थली किष्किंधा
हनुमान जन्म स्थली किष्किंधा
Er.Navaneet R Shandily
इस सियासत की अगर मुझको अक्ल आ जाए
इस सियासत की अगर मुझको अक्ल आ जाए
Shweta Soni
वोट कर!
वोट कर!
Neelam Sharma
There can be many ways to look at it, but here's my understa
There can be many ways to look at it, but here's my understa
Ritesh Deo
* उपहार *
* उपहार *
surenderpal vaidya
माँ
माँ
Vijay kumar Pandey
O YOUNG !
O YOUNG !
SURYA PRAKASH SHARMA
हम सोचते थे ज़िन्दगी बदलने में बहुत समय लगेगा !
हम सोचते थे ज़िन्दगी बदलने में बहुत समय लगेगा !
Vishal Prajapati
डॉ0 मिश्र का प्रकृति प्रेम
डॉ0 मिश्र का प्रकृति प्रेम
Rambali Mishra
सफर की यादें
सफर की यादें
Pratibha Pandey
**ग़ज़ल: पापा के नाम**
**ग़ज़ल: पापा के नाम**
Dr Mukesh 'Aseemit'
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
Ghanshyam Poddar
बेटे का जन्मदिन
बेटे का जन्मदिन
Ashwani Kumar Jaiswal
मुझसे रूठकर मेरे दोस्त
मुझसे रूठकर मेरे दोस्त
gurudeenverma198
दीप
दीप
Neha
समझो साँसो में तेरी सिर्फ मैं हूँ बसाँ..!!
समझो साँसो में तेरी सिर्फ मैं हूँ बसाँ..!!
Ravi Betulwala
"दास्तान"
Dr. Kishan tandon kranti
*मित्र हमारा है व्यापारी (बाल कविता)*
*मित्र हमारा है व्यापारी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
वो मेरे बिन बताए सब सुन लेती
वो मेरे बिन बताए सब सुन लेती
Keshav kishor Kumar
हा रघुनन्दन !
हा रघुनन्दन !
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बार -बार कहता दिल एक बात
बार -बार कहता दिल एक बात
goutam shaw
जिंदगी भी आजकल
जिंदगी भी आजकल
हिमांशु Kulshrestha
रूप श्रंगार
रूप श्रंगार
manjula chauhan
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
Ashwini sharma
Loading...