पास वो मेरे इतने है कि,दूरियों का अहसास नहीं –आर के रस्तोगी
पास वो मेरे इतने है कि,दूरियों का अहसास नहीं
कुछ बोलना चाहती हूँ,पर बोलने का साहस नहीं
कहने को बहुत कुछ कह सकती,पर अभी समय नहीं
जुबान पर ताले पड़े है,पर वह चाबी मेरे पास नहीं
जिन्दगी काट लेते है सभी,पर हमने काटी है ऐसे
रोकर भी हँसते रहे,क्या ये कोई बात खास नहीं
वो कौन सी दुश्मनी निभा रहे,क्या उनको पता नहीं ?
वो मेरे पास होते हुये भी,वे मेरे जरा भी पास नहीं
हर धड़कन में उनकी धड़कन है,हर साँस में साँस है
इतना कुछ होते हुये भी,क्या उनको विश्वास नहीं
हर पल उनको याद करना,रस्तोगी को क्या याद नहीं
वो मेरे खास होते हुये भी,वे जरा भी मेरे खास नहीं
आर के रस्तोगी