दुश्मनी की कर्क रेखा इक खिंची है
२१२२ २१२२ २१२२
प्रेम के
दुश्मनी की कर्क रेखा इक खिंची है
बस महज दुर्भावना दुर्भावना है।
शांति का हो सतत ही संचार जग में,
अब न कोई दीखती संभावना है।
शाख पर बैठा है उल्लू वृक्ष की हर,
और मन में पूर्ण काली भावना है।
है कपटता दीखती हर ओर जग में,
लुप्त होती प्यार की सद्भावना है।
दूर कैसे हो कलुषता सोचता ये
बस अटल की एक ये ही कामना है।