पावस /बरसात /बारिश
छम-छम बारिश ने किया, पावस का आगाज।
हवा सुहानी बह रही, झूम रहे वनराज।। १
वर्षा आई झूम कर, प्रकृति भाव विभोर।
बूँद-बूँद जादू भरा, मौसम है चितचोर।। २
वर्षा की हर बूँद में, सुन्दर सुखद मिठास।
आज सखी पूरी हुई, मेरे मन की आस।। ३
वर्षा रानी आ गई, कर सोलह श्रृंगार।
उसके आने से मगन,ये पूरा संसार।। ४
वर्षा की ध्वनि हृदय में ,भर देती है प्रीत।
प्रणयातुर शत कीट खग, गाते मंगल गीत।। ५
नीले अम्बर में घटा,जब छाई घनधोर।
पंख खोलकर नाचता, तब जंगल में मोर।।६
खुश होती बरसात जब,करें कई उपकार।
क्रोधित हो जाये अगर, करती सब संहार।। ७
कहो सखी किससे कहें, अपने मन की पीर।
पिया बिना बरसात में, बहे नयन से नीर।। ८
मेध बहुत मन के गगन, मगन मयूरी नाच।
दर्द दबा कर कंठ में,सह पीड़ा की आँच।। ९
-लक्ष्मी सिंह ? ☺