पावन है भोलेनाथ का सावन
आत्मस्थित जो महादेव हैं
वही अघोर हैं वही अभेद हैं
वही पवित्र हैं वही हैं पावन
वही संहारक वही हैं जीवन
कहीं हर्ष है कहीं शोक है
विषम दशा में भूमि लोक है
गरल-पान कभी किये सदाशिव
थे द्वेष दंभ सब हरे महा शिव
जप-तप पूजा और अभिषेक
सदा ही करते भक्त प्रत्येक
सर्वत्र व्याप्त है जिनकी शक्ति
शव से बनते जो शिव की उक्ति
रूद्र का अंश है हर जीवात्मा
निराकार निर्लिप्त भावना
करते हैं नर-नारी साधना
अभय बनाते शिव-अराधना
मंजू मनोरथ पूर्ण हो सारे
चिन्मय आस्था रहे हमारे
पावन है भोलेनाथ का सावन
मंगलमय हो हर घर प्रांगण.
भारती दास ✍️