पावन धरती
पावन धरती
भारत की पावन धरती का, बार बार अभिनन्दन,
शत शत बार नमन करते हैं, करते हम सब वन्दन |
सदा देव गण इच्छुक रहते, भारत में आने को,
सुर सरिता के पास बैठने, चरणामृत पाने को |
भारत माँ है पूज्य हमारी, उसके माथे चन्दन,
हम अपना सौभाग्य मानते, अर्पित करते तन मन |
सूर्य,चन्द्र भी पहरा देते, जगमग करें सितारे,
हमको ऊर्जावान बनाते, जिससे दुश्मन हारे |
धन्य हमारी पावन धरती, जहाँ बसा वृन्दावन,
गाय हमारी माता सबकी, पूजित है गोबर्धन |
अडिग हिमालय शीष मुकुट है,सागर चरण पखारे,
विन्ध्याचल की बनी करधनी, प्रान्त सभी गलहारे |
माँ का ऋण ही हमें चुकाना, दिखलायें अपनापन,
हिमिगिरि की रक्षा करना है, सावधान हों प्रतिक्षण |
अपना है कश्मीर सदा से, उसके गुण हम गायें,
कोई कितनी बाधा डाले, वे सब मुँह की खाएं |
सब देशों से न्यारा भारत, पूजित उसका कण कण,
रक्षा का दायित्व हमारा, इसका लेते हम प्रण |
तीन बार पाक हारा है, फिर भी आँख दिखाता,
खुद बर्बाद हो रहा फिर भी, चीन उसे बहकाता |
उसके टुकड़े टुकड़े कर दें, हट जाये दुख दारुण,
पाक मिलेगा फिर भारत में, ऐसे बनते कारण |
आतंकी के बल पर शायद, उसको ऐसा था भ्रम,
दुनिया भर में हुआ अकेला, हटा सामने से तम |
आओ पूजो फिर भारत को, क्यों करते हो क्रन्दन
मिलकर हम तुम साथ बढ़ेंगे, होगा तब सम्बर्धन |
हम अनेक में एक बने हैं, यह सिद्धान्त हमारा,
नहीं धर्म में हमें बाँटना, मानव धर्म तुम्हारा |
विश्व बन्धु का भाव भरेंगे, तब होगा परिवर्तन,
विश्व गुरु भारत अब फिरसे, होगा यह आकर्षण |
षट ऋतुयें भारत में होती, ऐसा देश हमारा,
प्राकृतिक सौन्दर्य यहाँ पर, काशमीर है प्यारा |
सीमाएं रक्षित हैं इसकी, रहते हैं ज्ञानी जन,
वन्दनीय भारत है अपना, मंगल माय हो जीवन |
हो अखंड भारत का नारा, इसका ले लें हम प्रण,
भारत हो सिरमोर जगत में, करते हम अभिनन्दन |