पार झरनों के
पार झरनों के कोई दुनिया बसा कर देखना
चाँद तारों में नया इक घर बना कर देखना
सब परिंदे उड़ गए तो ये शज़र फिर क्या करे
हिज़्र के इस दौर में भी मुस्करा कर देखना
सरसराहट सी हवाएँ कर रही मदहोश हैं
सायें सायें की धुनों पर गुनगुना कर देखना
दोस्तों सा कोई सानी इस ज़माने में नहीं
प्यार अपना दोस्ती से आज़मा कर देखना
आ रही है ये महक जो इस तरफ़ इक फूल है
मार डालेगा तेरा नज़रें झुका कर देखना