पापा
सारे घर की तुम हो शान,
तुमसे ही है मेरी पहचान।
आज बहाना नहीं बनाना,
पापा जल्दी घर आ जाना।
मैं हूँ नटखट और शैतान,
करता हूँ तुमको परेशान
गुस्सा मुझ पर नहीं जताना।
पापा जल्दी घर आ जाना।
अच्छा बच्चा बनूँगा मैं,
मन लगाकर पढूँगा मैं,
टाफी, चाकलेट मुझे दिलाना।
पापा जल्दी घर आ जाना।
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)
दिनांक :- २०/०६/२०२१.