पिता
बचपन में उँगली पकड़वाकर,
सही चलना हमें सिखाते हैं ।
गिर जाए अगर हम कभी,
उठा फिर प्यार से गले लगाते हैं।
जिसके छाएँ में पलते हैं हम,
हमारे हर धूप को वो सह जाते हैं
स्वयं से अटूट बन्धन में बाँधकर,
वो हमें दुनिया की रीत समझाते हैं।
डरो न कभी समस्याओं से,
जो हरदम हमें सिखाते हैं।
संघर्ष करो और जीतो दुनिया,
संघर्ष से पहचान करवाते हैं।
नहीं सोते हैं रात भर खुद,
थपकियाँ देकर हमें सुलाते हैं।
हो जाती हैं जगे हुए ही सुबह,
बच्चे हेतु योजना जब बनाते हैं ।
नहीं मिले उनकी तरह कोई,
हम हरदम यही दुहराते हैं।
कर देते हैं न्योछावर जिंदगी,
वहीं पिता परमेश्वर कहलाते हैं।
माँ-सा ममता पिता-सा प्यार नहीं कहीं,
हम अबतक जीवन में यही तो पाते हैं।
मोम-सा दिल होता हैं उनलोगों का,
पर लोहा बनकर जीना हमे सिखाते हैं।
✍️✍️✍️खुश्बू खातून