पापा सही कहते थे
शीर्षक:पापा सही कहते थे
मेरे पापा सही कहते थे कि जीवन एक कठपुतली हैं
कोई तो है जो हमे अपनी उंगलियों पर नचा रहा है
हम किसी के इशारे पर ही तो काम कर रहे है
पापा सही कहते थे हम कठपुतली से है
आखिर क्यों..? और कौन हैं वो..?
जिंदगी सांसो से चल रही हैं पर दिला कौन रहा है
अहंकार पूरा भरा है हममे पर कुछ हाथ अपने नही है
भरोसा जीवन का क्षणभर नही पर अहम पूरा भरा है
पापा सही कहते थे हम कठपुतली से है
आखिर क्यों..? और कौन हैं वो..?
क्यो सुख दुख आते हैं क्यों जन्म मरण होता हैं
क्यो बचपन आता ,जवानी,क्यो बुढापा आता हैं
क्यो अमीर गरीब होता,क्यो छोटा बड़ा होता हैं
पापा सही कहते थे हम कठपुतली से है
आखिर क्यों..? और कौन हैं वो..?
क्यो रीतियां,क्यो कोई रिवाज बनता हैं
क्यो अथाह दुख किसी किसी को मिलता हैं
क्यो रस्मों में बाँधकर हमे सुख मिलता हैं
पापा सही कहते थे हम कठपुतली से है
आखिर क्यों..? और कौन हैं वो..?
जीवन विशाल समंदर से है हम उसमे बूंद से है
शरीर बदलता हैं आत्मा वही होती हैं
हम रहे न रहे फर्क नहीं पड़ता हैं जीवन तो चलता है
पापा सही कहते थे हम कठपुतली से है
आखिर क्यों..? और कौन हैं वो..?
डॉ. मंजु सैनी
गाज़ियाबाद