पापा जल्दी घर आ जाना
एक बाल कविता, और एक पिता की मजबूरी:-
पापा जल्दी घर आ जाना,
चार मिठाई लेकर आना,
मुझको भूख बहुत लगती है,
टाफी की इच्छा जगती है,
पप्पू, मुन्नी, डोली, राजू
खाते सभी रोज है काजू
लेकिन मुझे खिलाते न वो,
मुझको रोज खिजाते है वो,
कहते निर्धन है वो मुझको,
काजू नहीं मिलेंगे तुझको,
पापा उनको तुम बतलाओ,
मुझे भी काजू ला दिखलाओ,
मैं भी उन्हें खिजाउंगी फिर,
उनको नहीं खिलाऊँगी फिर,
मुझको मजा बहुत आएगा,
पेट भी मेरा भर जाएगा,
पापा ये सुनकर रो बैठे,
कहाँ से लाएं इतने पैसे,
मार गरीबी की वो झेलें,
किस्मत उनके संग है खेले,
उन्होंने पैसे लिए उधारी,
और खरीदी चीज़े सारी,
साइकिल गिरवी रख आए वो,
बिटिया के काजू लाए वो,
बिटिया ने जब हँस दिखलाया,
पापा का भी मन हर्षाया,
अनिल ‘चिंतित’