पापा क्यूँ कर दिया पराया??
पापा क्यों कर दिया पराया?
जब मैं इस दुनिया में आई,
कितनों के मन को ना भाई।
पर तुम ने सीने से लगाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
रात रात मेरे संग जागे,
मेरे आगे पीछे भागे।
लोरी गाकर मुझे सुलाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
उंगली पकड़ चलाते मुझको,
कंधे बिठा घुमाते मुझको।
घोड़ा बन मुझ को बहलाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
जन्मदिन जब मेरा मनाते,
सबसे सुंदर फ़्रॉक दिलाते।
परियों सा हर बार सजाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
नीली पीली हरी चूड़ियाँ,
हँसने रोने वाली गुड़िया।
सारा था बाज़ार दिलाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
जब जब डाँट लगाती मैया,
जब जब आँख दिखाता भैया।
तब तब तुमने मुझे बचाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
तुमने हम बच्चों की ख़ातिर,
अपना सारा दर्द भुलाकर।
रात और दिन बस फ़र्ज़ निभाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
हाँ नाजों से पाला तुमने,
जब भी गिरी संभाला तुमने।
फिर आगे बढ़ना सिखलाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
बड़ी हो गई जब ये गुड़िया,
मोल लगाने आई दुनिया।
क्यों तुमने था सिर को झुकाया…
पापा क्यों कर दिया पराया?
बेटों सा पाला था तुमने,
स्वाभिमान भरा था मुझमें।
क्यों तुमने खुद हाथ फैलाया…
पापा क्यों कर दिया पराया?
अनजानों को सौंप दिया क्यों,
नाता मुझसे तोड़ लिया क्यों।
इक पल में सब प्यार भुलाया…
पापा क्यों कर दिया पराया?
मैं पापा अभिमान तुम्हारा,
रखूँ हरदम मान तुम्हारा।
मैंने सबको है अपनाया…
पापा फिर क्यों किया पराया?
अब भी रानी बिटिया हूँ मैं,
उस आँगन की चिड़िया हूँ।
क्यों मेरा घर अलग बसाया…
पापा क्यों कर दिया पराया?
मुझको कभी भुला मत देना,
अपने दर्द छुपा मत लेना।
दौड़ आऊँगी जब भी बुलाया…
पापा मुझे न करो पराया!!
पापा मुझे न करो पराया!!
-स्वीटी सिंघल ‘सखी’
बेंगलुरु, कर्नाटक