पापा की याद में चंद बूंदे आंसू
शीर्षक: पापा की याद में चंद बूंदे आंसू
चंद बूंदे आंसू अनायास ही बस चलते हैं….
पापा आपकी याद यूँ तो रोज ही याद आती है
रोज ही छलक जाती है चंद बूँदें इन आँखों से
आपके स्नेह में बीते पल आपकी याद दिलाते हैं
ह्रदय विह्वल हो उठता हैं यादो की लहरियो में
चंद बूंदे आंसू अनायास ही बस चलते हैं….
मनःपटल पर कई बार यादो का उबाल आता हैं
मन घुटता है अंतर में आँखों से आँसू बह चलते हैं
मन में उमड़ आती अनगिनत यादों की धाराएँ हैं
खुल जाता बचपन की सारी यादो पुलिंदा हैं
चंद बूंदे आंसू अनायास ही बस चलते हैं….
वो दिन तो भुलाये नही भूल पाती हूं
जब देखा आपको शांत लेटे हुए बिन बात किये
जब मेरे जाने पर भी आपकी देह में हलचल ही नही
खुद को समझाने पर भी नहीं होता है विश्वास
चंद बूंदे आंसू अनायास ही बस चलते हैं….
आप नहीं हैं आज मेरे साथ छोड़ गए अकेली हुई मैं
कैसे चले गए आप निर्दयी होकर छोड़ मुझे
क्यो नही पल भर भी नही सोचा आपने कि मैं
कैसे रह पाऊंगी आप बिन,नितांत अकेली रह गई मैं
चंद बूंदे आंसू अनायास ही बस चलते हैं….
पापा न जाने क्यूँ एक ही बात सताती है
कुछ तो बोल जाते अंतिम क्षणों में मुझे
अचानक ही जाने की क्यो सोच बैठे
जब भी आपकी याद आती है मन बेचैन हो जाता हैं
चंद बूंदे आंसू अनायास ही बस चलते हैं….
कष्ट देती हैं वो बाते जो शायद आप कहना चाहते थे
पर आपको समय ही नही मिला कि आप कह पाते
याद तो आई होगी इस अपनी जान से प्यारी बिटिया की
कैसे निकले होंगे प्राण आपके यही प्रश्न कष्ट देता हैं
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद