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19 Jun 2021 · 1 min read

” पापा की परी “

” पापा की परी ” ©
_____ ?‍♀️__________

पापा मुझे तुम पँख दिलवा दो
बाजार से पूरे दो दिलवा दो ||

और रंग-बिरंगी चमकली-सी
एक नयी फ्रॉक सिलवा दो ||

पँख लगाकर आसमान में
दूर तक उड़ना चाहती हूँ ||

जादू की छड़ी गोल घुमाकर
जादू करना चाहती हूँ ||

तारों की ऊँचाई तक मैं
परियों संग घूम आउंगी ||

बड़ी हो कलाकार बन मैं
परियों की अदा निभाऊंगी ||

जब तुम टीवी चलाओगे तो
मैं स्क्रीन पे दिख जाउंगी ||

मैं हूँ प्यारी नन्ही सी परी
सबके दिल पे छा जाउंगी ||

________________

स्वरचित एवं
मौलिक रचना
लेखिका :-
©✍️सुजाता कुमारी सैनी “मिटाँवा”
लेखन की तिथि :- 18 जून 2021

2 Likes · 2 Comments · 444 Views
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