योग न ऐसो कर्म हमारा
मन चाहे तुझमें खो जाऊं, योग न ऐसो कर्म हमारा
ज्ञान न एतो तुमको पा लूँ ,ताहि रटूं मैं नाम तिहारा
हर पल तेरा दर्शन मांगू ,मैं तेरी हूँ इतना जानूं
ईश कहूँ जगदीश कहूँ,या तेरे चरण की धूलि बनूँ
मैं गुणहीन तुम ज्ञान गुण सागर,अधमी पापी मन है हमारा
योग ऐसो कर्म हमारा …………….
का जानूं का तेरी माया, तेरी इच्छा जगत मैं आया
तेरे हाथ का एक खिलौना, तेरी रची ये सगरी मया
तुम्हारी इच्छा जो भी करवा लो, मैं नैया तू खेवन हारा…………….
का जानू का तेरी सेवा, का आज्ञापालन तेरी देवा
भाव हृदय तुमने ही डारा, मुक्त तुम्हीं से विषय विकारा
सकल जगत ये मेरी परीक्षा, तुम ही सागर तुम ही किनारा…………….
लगन तुहारी का मैं जानू, प्रीत तिहारी का पहचानूँ
सिमरन भजन तेरा चिन्तन, हे नाथ तुम्हीं हो मम जीवन
श्री चरणों में स्वीकृत हो पाए, हे स्वामी प्रणाम हमारा…………….