पानी
मर जाता आँख का पानी
इंशा शर्म से पानी पानी।
आँखों से बहता नीर नज़र का
आँसू पानी ही पानी।।
ख़ुशी के जज्बे जज्बात में
छलकता आँसू जिंदगी का मीठा
पानी ही पानी जिंदगानी।।
पानी है तो है प्राणी पानी से ही
प्राणी प्राण।
बिन पानी धरा धरती रेगिस्तान
वनस्पति पेड़ पौधे लापता उड़ती
रेत हवाओं में नज़ारा कब्रिस्तान।।
कब्रिस्तान में सिर्फ दफ़न होता
मरा हुआ इन्शान
रेगिस्तान की मृगमरीचिका में
पानी को भटकता जिन्दा
दफ़न हो जाता जिन्दा इन्शान।।
पानी से सावन का बादल
सावन सुहाना।
सावन की फुहार बरसात की बहार।
पानी धरती का प्राण
अन्नदाता किसान का जीवन अनुराग ।।
बारिस का पानी खेतों में हरियाली खुशहाली की एक एक बूँद
कीमती धरती उगले
सोना उगले हिरा मोती से दुनियां पानी पानी।।
पंच तत्व के अधम सरचना
शारीर में पानी आवश्यक
आधार।
दूध में खून में अस्सी प्रतिसत पानी कही पानी ही पानी
कही बिन पानी सब सून।।
पानी प्यास ही नही बुझाती
जन्म ,जीवन का बुनियाद बनती।।
कही बाढ़ पानी ही पानी
पानी ही पी पी ही मरता इन्शान।
कही सुखा प्यासा भूखा नंगा
मरता इंसान ।।
पानी में परमात्मा पानी से आत्मा
पानी से खूबसूरत कायनात विश्वआत्मा।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश