*पानी सबको चाहिए, सबको जल की आस (कुंडलिया)*
पानी सबको चाहिए, सबको जल की आस (कुंडलिया)
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पानी सबको चाहिए, सबको जल की आस
चिड़िया कुत्ता गिलहरी, सबके भीतर प्यास
सबके भीतर प्यास, सभी का जल से नाता
सबका देह-स्वभाव, ग्रीष्म में घोर सताता
कहते रवि कविराय, रही लेकिन नादानी
मानव भूला हाय, चाहिए सबको पानी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451