Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 2 min read

*पानी केरा बुदबुदा*

Dr Arun Kumar shastri
* पानी केरा बुदबुदा *

टूट कर शीशे सा बिखर जाना, बहुत आसान होता है ।
शिकस्ता साज़ पर नगमे सुरीले गा कर,दिखाये वही इंसान होता है ।

नतीजों से प्रारब्ध का अंदाजा लगाकर ,
बहक जाना,
किसी अनजान के पहलू में आकर महक जाना ।

जैसा ही एक ही बाकया शानदार होता है ,मुसीबतों के बीच सजग रहना ,ये , कहना
बहुत आसान होता है थपेड़े मौसम के जिसने झेले हों
असलियत में वही तो पहलवान होता है ।

गमों गुलखार सी दुनिया ,और तीखे – तीखे वाण सी दुनिया सदा ही वेधती दिल को ।
सभी से, बचा ले पल्लू – टिललू सा, वही उस्ताद होता है ।

सिखा कर प्यार की कविता ,दिखा कर सब्ज हरियाली ,
चढ़ा कर नाक पर चश्मा, जो देखता है तुम्हें, लाली
समझ ले चाल जो इनकी, वही तो पार होता है ।

टूट कर शीशे सा बिखर जाना, बहुत आसान होता है ।
शिकस्ता साज़ पर नगमे सुरीले गा कर, दिखाये वही इंसान होता है ।

मैं कहता मैं नहीं डरता मगर डरता है दिल तो मेरा भी।
यही हिम्मत सँजोना जोड़ कर अपने को रखना कहां आसान होता है।

तेरे हाथों किसी का भला हो अगर जाए, क्या बुरा है।
यहां हर जीव अपने हाथ से कोई पुण्य कर जाए क्या बुरा है।

प्रभु को कर प्रणाम ले चरण रज तू लगा मस्तक पे अपने भी ।
तेरे दिन की इस तरह हो शुरुआत मेरे बच्चे तो क्या बुरा है।

टूट कर शीशे सा बिखर जाना, बहुत आसान होता है ।
शिकस्ता साज़ पर नगमे सुरीले गा कर दिखाये वही इंसान होता है ।

Language: Hindi
175 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

सोच तो थी,
सोच तो थी,
Yogendra Chaturwedi
बातें जो कही नहीं गईं
बातें जो कही नहीं गईं
Sudhir srivastava
रूप श्रंगार
रूप श्रंगार
manjula chauhan
सितमज़रीफी किस्मत की
सितमज़रीफी किस्मत की
Shweta Soni
जो कहना है,मुंह पर कह लो
जो कहना है,मुंह पर कह लो
दीपक झा रुद्रा
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
Surinder blackpen
करुणभाव
करुणभाव
उमा झा
कौवा (गीतिका)
कौवा (गीतिका)
Ravi Prakash
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फूल खुश्बू के हों वो चमन चाहिए
फूल खुश्बू के हों वो चमन चाहिए
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मई दिवस
मई दिवस
Ghanshyam Poddar
आज की शाम।
आज की शाम।
Dr. Jitendra Kumar
* मुक्तक* *
* मुक्तक* *
surenderpal vaidya
यदि ध्वनि हद से ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले वो आपके ध्वनि को
यदि ध्वनि हद से ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले वो आपके ध्वनि को
Rj Anand Prajapati
Acrostic Poem
Acrostic Poem
jayanth kaweeshwar
भिड़ी की तरकारी
भिड़ी की तरकारी
Pooja srijan
कैसे परहेजगार होते हैं।
कैसे परहेजगार होते हैं।
Kumar Kalhans
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
Mangilal 713
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
हँस लो! आज दर-ब-दर हैं
हँस लो! आज दर-ब-दर हैं
गुमनाम 'बाबा'
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
आजादी का उत्सव
आजादी का उत्सव
Neha
मुझमें मुझसा
मुझमें मुझसा
Dr fauzia Naseem shad
झगड़ा
झगड़ा
Rambali Mishra
सर्दी में कोहरा गिरता है बरसात में पानी।
सर्दी में कोहरा गिरता है बरसात में पानी।
इशरत हिदायत ख़ान
छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे
छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
प्यार के
प्यार के
हिमांशु Kulshrestha
" नैना हुए रतनार "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
"जन्मदिन"
Dr. Kishan tandon kranti
गरीब–किसान
गरीब–किसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...