Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Oct 2021 · 1 min read

पात-पात हम चले…

टूटे सपनों की सजाने, बारात हम चले
बरसों बाद करने खुदसे, मुलाकात हम चले…

जितने बढ़े फ़ासले, उतने ही करीब आ गए
छोड़कर वादें, गले लगाने जज़्बात हम चले…

आसमान में उड़कर, थक चुके अब
बसने की ज़मीं से माँगने, खैरात हम चले…

कुछ दें या ना दें, मोहब्बत का सिला चाहे
लुटाकर अपनी तो, कायनात हम चले…

बेशक हम न पाए, फ़ौकियत की मंजिल
मगर इंतजार में, सारा दिन सारी रात हम चले…

तेरी सोच चली प्यार में डाल- डाल
बनकर तेरी धड़कन, पात -पात हम चले…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’

1 Like · 2 Comments · 490 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वेदना में,हर्ष  में
वेदना में,हर्ष में
Shweta Soni
" तितलियांँ"
Yogendra Chaturwedi
शायद आकर चले गए तुम
शायद आकर चले गए तुम
Ajay Kumar Vimal
निकला वीर पहाड़ चीर💐
निकला वीर पहाड़ चीर💐
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कविता
कविता
Shiva Awasthi
भरत नाम अधिकृत भारत !
भरत नाम अधिकृत भारत !
Neelam Sharma
पर्यावरण
पर्यावरण
Dinesh Kumar Gangwar
— नारी न होती तो —
— नारी न होती तो —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
2555.पूर्णिका
2555.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मजदूर हूँ साहेब
मजदूर हूँ साहेब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
#दोहा
#दोहा
*प्रणय प्रभात*
सफ़र जिंदगी के.....!
सफ़र जिंदगी के.....!
VEDANTA PATEL
जीवन में दिन चार मिलें है,
जीवन में दिन चार मिलें है,
Satish Srijan
दोहा छंद
दोहा छंद
Seema Garg
कर्मठता के पर्याय : श्री शिव हरि गर्ग
कर्मठता के पर्याय : श्री शिव हरि गर्ग
Ravi Prakash
घाव
घाव
अखिलेश 'अखिल'
साँप और इंसान
साँप और इंसान
Prakash Chandra
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
आर.एस. 'प्रीतम'
क्यों गुजरते हुए लम्हों को यूं रोका करें हम,
क्यों गुजरते हुए लम्हों को यूं रोका करें हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कान्हा भजन
कान्हा भजन
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
इतना रोई कलम
इतना रोई कलम
Dhirendra Singh
ख़्याल
ख़्याल
Dr. Seema Varma
जन्म से मरन तक का सफर
जन्म से मरन तक का सफर
Vandna Thakur
रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
कवि रमेशराज
माँ का अछोर आंचल / मुसाफ़िर बैठा
माँ का अछोर आंचल / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
"दिमाग"से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है!
शेखर सिंह
माँ
माँ
Vijay kumar Pandey
रहने भी दो यह हमसे मोहब्बत
रहने भी दो यह हमसे मोहब्बत
gurudeenverma198
पुरूषो से निवेदन
पुरूषो से निवेदन
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
किस्मत भी न जाने क्यों...
किस्मत भी न जाने क्यों...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...