” पाती उनके नाम “………
प्रेम पाश में बाँधा तुमने जो सजना।
छोड़ दिया बाबुल का हमने वो अँगना।
कदम से कदम मिला लिया साथ आपके
चलने को , देकर हाथ हमने तो अपना।
प्यार भी मिले पर तकरार भी हुए ।
कभी इन्कार हुए तो इकरार भी हुए।
गृहस्थ पथ तो तपस्या है ” मेरे सजन ”
यदि कभी तपन थी , तो बौछार भी हुए।
आपने यदि मुझको हमराज बना लिया।
हमने भी आपको दिल की आवाज बना लिया।
दिल क्या माँगते हो अजी जां भी है आपके
हवाले आपको तो हमने “सरताज ” बना लिया।
@पूनम झा |कोटा , राजस्थान