पाति है प्यार की
पाति है प्यार की :-
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पहली पहली बार जब पाति आती है प्यार की
फुली नही समाती हूॅ और दिल की धड़कन तीव्रगति सी हो जाती है ।मुरझायें से फूल में मुस्कान आ जाती है ।
मीठे प्यार की मीठी सी अनुभूति भुलाये नही भुलती हूॅ
न उसने मेरा रुप रंग देखा और न गुण अवगुण देखा
बस देखा बस दिल से दिल की चाहत को देखा
घर आकर भी चैन नहीं ,ऑखो में बस गयी वो छवि
वो सम्मोहक नजरे पीछा कर रही थी ।
भूख प्यास सब कुछ नदारद
ऐसा लगा मुझे कि कोई जन्मों का बिछड़ा साथी मिल गया हो
उन प्रेममयी ऑखों से प्रेम का सागर लहरा रहा था
घर आकर देखा जब मैने अपने आपको आईने में तो दंग रहगयी ।अरे !यह आखें मेरी है ही नही उसमें तो ‘वो’ भी है
जिधर देखूॅ वही नजर आता है
सवर्त्र प्रेम का रंग ,हर चेहरा उसी का चेहरा मुस्कुराता व खिलखिलाता नजर आने लगा ।
मन मुग्ध व दिल हर्षित सा रहने लगा ।
*********ममता गिनोड़िया****