*पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान (कुंडलिया)*
पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान (कुंडलिया)
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पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान
उठकर अपनी देह से, ऊॅंची भरो उड़ान
ऊॅंची भरो उड़ान, श्वास की लय को सीखो
भीतर हैं भगवान, उन्हीं में डूबे दीखो
कहते रवि कविराय, मौन में गहरे जाओ
अनहद जिसमें नाद, लक्ष्य जीवन का पाओ
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451