*पाई कब छवि ईश की* (कुंडलिया)
पाई कब छवि ईश की (कुंडलिया)
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पाई कब छवि ईश की ,मिलता जब वह मित्र
दिखा बिना आकार का ,बन पाया कब चित्र
बन पाया कब चित्र ,कहाँ मुख से कुछ बोला
पता नहीं वह कौन ,न आता पहने चोला
कहते रवि कविराय , समझ हस्ती कब आई
लगता एक रहस्य , भेद की बात न पाई
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 9997 615451