पाँच हाइकु
कोई ना बल
हरि इच्छा प्रबल
रह संभल
ज्ञान गलत
गलत गलत लत
पूर्ण दुर्गत
झूठ पुलिंदा
भाग्य ना जाने बंदा
ना होवे उम्दा
भाग्य ले जगा
मालिक ना महेंगा
बस उसे गा
जग बेशर्म
रख अपना धर्म
कर सुकर्म
अरविन्द व्यास “प्यास”
कोई ना बल
हरि इच्छा प्रबल
रह संभल
ज्ञान गलत
गलत गलत लत
पूर्ण दुर्गत
झूठ पुलिंदा
भाग्य ना जाने बंदा
ना होवे उम्दा
भाग्य ले जगा
मालिक ना महेंगा
बस उसे गा
जग बेशर्म
रख अपना धर्म
कर सुकर्म
अरविन्द व्यास “प्यास”