**पहले ढूंढिए ठौर – ठिकाना**
**पहले ढूंढिए ठौर – ठिकाना**
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पहले ढूंढ़िए ठौर – ठिकाना,
फिर खाओ तुम स्वादिष्ट खाना।
महफ़िल मे गर कहीं पधारे हो,
खूब मद मस्ती मे रंग जमाना।
सुखद परिवेश मे सभी हँसते हैं,
दुखद माहौल में हंसना हँसाना।
बहुत दर्द होता है चौड़े सीने में,
जाने-अंजाने दिल नहीं दुखाना।
मुश्किल में अक्सर टूटते सहारे,
चट्टान बनकर हर फर्ज निभाना।
भूलकर भी न भूलना मनसीरत,
भटकों को सत्य मार्ग दिखाना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)