पहली बारिश
मौसम की पहली बारिश
बहुत गुदगुदाती हैै
मिट्टी की सोंधी महक
शरीर में समा जाती है
थिरक उठता है तन
पलक मूदें नयन
बचपन की ओर ले जाती है
कागज की नाव
डगमग डगमग चलती
बड़ी अच्छी लगती है
मासूम बच्चे की मुस्कान
बारिश की फुहार लगती है
बारिश के बाद की धूप
और तुम्हारा साथ
जींदगी को एक
गर्माहट दे जाती है
कभी-कभी
जीने के लिये
ये लम्हें भी काफी हो जाते हैं
मरना तो जींदगी का
एक पड़ाव है
जींदगी तो सफर ही कहलाती है
बरसना सबको है
अपने अपने हिस्से का…
और मिट्टी में मिल जाना है
बूंदों की तरह
मौसम की पहली बारिश
या जींदगी की आखिरी बारिश
आना तो जरूर है….
रश्मि रत्न
कोलकाता