Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2024 · 1 min read

“पहला चुम्बन”

“पहला चुम्बन”
नहीं ले पाती कोई माँ भी
शिशु का पहला चुम्बन,
दादी नानी या नर्स ने ही
लिया होगा पहला चुम्बन।
मगर हर एक चुम्बन तो
सँवारते हैं जिन्दगी,
सिर्फ मानव ही ले पाते
चुम्बन ता-जिन्दगी।

2 Likes · 2 Comments · 29 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
मनुष्य
मनुष्य
Sanjay ' शून्य'
कैसा फसाना है
कैसा फसाना है
Dinesh Kumar Gangwar
गीता हो या मानस
गीता हो या मानस
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आधुनिक युग और नशा
आधुनिक युग और नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सत्य की खोज
सत्य की खोज
लक्ष्मी सिंह
संघर्ष....... जीवन
संघर्ष....... जीवन
Neeraj Agarwal
ख़ुदा बताया करती थी
ख़ुदा बताया करती थी
Madhuyanka Raj
दुनिया में कुछ भी बदलने के लिए हमें Magic की जरूरत नहीं है,
दुनिया में कुछ भी बदलने के लिए हमें Magic की जरूरत नहीं है,
Sunil Maheshwari
कुछ राज, राज रहने दो राज़दार।
कुछ राज, राज रहने दो राज़दार।
डॉ० रोहित कौशिक
महसूस करो दिल से
महसूस करो दिल से
Dr fauzia Naseem shad
आज यादों की अलमारी खोली
आज यादों की अलमारी खोली
Rituraj shivem verma
कोई तो डगर मिले।
कोई तो डगर मिले।
Taj Mohammad
आज शाम 5 बजे से लगातार सुनिए, सियासी ज्योतिषियों और दरबारियो
आज शाम 5 बजे से लगातार सुनिए, सियासी ज्योतिषियों और दरबारियो
*प्रणय प्रभात*
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
शेखर सिंह
धोखा
धोखा
Paras Nath Jha
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
Atul "Krishn"
Still I Rise!
Still I Rise!
R. H. SRIDEVI
जिंदगी न जाने किस राह में खडी हो गयीं
जिंदगी न जाने किस राह में खडी हो गयीं
Sonu sugandh
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
Shashi Dhar Kumar
शृंगार छंद
शृंगार छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
"विकल्प रहित"
Dr. Kishan tandon kranti
नये साल के नये हिसाब
नये साल के नये हिसाब
Preeti Sharma Aseem
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
sushil sarna
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
Adha Deshwal
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
Munish Bhatia
NUMB
NUMB
Vedha Singh
3160.*पूर्णिका*
3160.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...