पहचान, समझ और जागरण.
पहचान,समझ और जागरण
*******************
पकड़ लिया
जकड़ लिया
उन्हीं संवेदनाओं ने,
जिन्हें हम धर्म और स्वराज के लिये फैली हैं ,
समझते रहे .।
#जागृति के लिये तह तक जाना है,
करके देखना है,
जो अनुभव में आये उसी #विवेक से .
दूध को पीना है,
पानी को छोड़ देना है .।
फिर इंसान आजाद है,
नहीं तो गुलाम का गुलाम,
प्रेम मैत्री सौहार्द तेरी ज्योति,
अन्थया अंधेरे ही अंधेरे,
सहयोग इंसाफ के हाथ,
तू जाग …बस जाग !!!
#डॉ_महेन्द्र