पहचानने में गलती
आवाज़ उठाने वाले आजादी की आज चुप क्यूं बैठे हैं,
सेक्युलरिज्म की सोच में क्यूं मुंह छिपाए बैठे हैं,
महफूज़ नहीं देश में शोषण हमारा यहां होता है,
हिंदुओ का यह देश है हर मुसलमान यहां रोता है,
कहते हो जो तुम यह सब तो झांक लो एक दफा इतिहास में,
तुम्हारी कौम की दुर्गति में तुम्हारा ही हाथ शामिल होता है,
नहीं पता तुम्हे कुछ तो आज तुम्हें मै सच्चाई तुम्हारी बताती हूं,
भारत वो देश है जहां हिन्दू हो कर भी मै रहीम की वाणी सुनती हूं,
चलो माना हम गलत है सोच तुम्हारी ही सही है,
फिर यह बताओ क्यूं तुम्हारी कौम आतंक के खिलाफ न खड़ी हुई है,
हाल देखकर कश्मीरी पंडितो का रूह पर तुम्हारी कोई फर्क नही,
पर एक जेहादी के मरने पर इस्लाम पर खतरा मंडराता यही,
भूल गए हो तुम यह धरती है कलाम और इकबाल की भी,
जो मानता देश को अपना उसको बैठाते सर आंखों पर सभी,
कमी नहीं इस देश में हर गलती को भूल अपनाया है तुम्हे हमने,
पर बताओ क्या तुम अपना पाए इस देश को अपना वतन कहने में,
चंद लोगों की खातिर जो बदनाम तुम बेवजह होते हो,
क्यूं उन पर आंख उठाने की जगह तुम हमको दोष देते हो,
देखो एक बार तुम अपने आस पास किस गलती को तुम छुपाते हो,
जिसको बचाते कौम की खातिर उसी कौम को उनसे मिलकर तुम बर्बाद कर रहे हो