पश्चिम का सूरज
पश्चिम का सूरज,
लेकर आता है,
रजनी का रज।
संकेत में,
सर्दी की ठिठुरन ,
गर्मी की नरम शाम।
नभ की श्याम आभा,
पंछी घर वापसी ।
दिन-भर थके को,
आराम राज़ी।
घर – घर की हलचल,
बढ़े जोर से स्वर।
जूते – चप्पलों को,
मिलन का दे अवसर।
घर की ओर ,
घर्-घर्,
घरघर्राते वाहन।
ठुमकते,
सड़क पर ,
मोटर गाड़ीवान।
सरकती सडकों पर ,
साईकिल की चैन ढ़ीली,
मोटर बाइक,
गियर में उलझी।
बेकार-कार,
बेबस वो बस ,
ट्रक मालभारी ,
आतुर कबाड़ी।
ठेले घसीटते,
पैदल सवारी।
रिक्शा – पधारी ,
कहीं पंचर गाड़ी।
भीड का जोर,
टी-टी का शोर ,
पौं – पों बाजा,
बजे चहुं ओर।
कोई पिच्च गुटका,
विमल मल सरीखा,
वहीं थूक जाता,
शरम भूल जाता।
कहीं-अंधेरी,
गली , सिद्दतों से,
झिप -झिप,
टिम- टिम,
लाईट – रौशन ।
सभी रंग जीवन के,
जाना, लौट आना।
संकेत पश्चिम ,
गति मंद होना।
पुन: भोर होना,
छंटना अंधेरा ,
पूरब तक पहुंचना।
सब सन्देश देता
पश्चिम का सूरज||