मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
जीवन में दिन चार मिलें है,
मर्यादित आचरण व बड़ों का सम्मान सही है,
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं
फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
*नेता से चमचा बड़ा, चमचा आता काम (हास्य कुंडलिया)*
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें