पल
चलती रहती है
जिन्दगी
कभी खट्टी
कभी मीठी
कभी खुशी
कभी गम
कभी मिलना
कभी बिछुड़ना
कभी प्यार
कभी तकरार
कभी माँ की
गोदी में सिर
कभी चार कंधों
पर सफर
कभी चार
दिन की चांदनी
कभी जिन्दगी
कांपती
कुछ ऐसे ही
पल जिन्दगी के
रखो बस संजोकर
जिन्दगी के
खूबसूरत पल
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल