((( पल भर )))
न कोई दस्तक हुई न आहट का आभास हुआ ,
दबे पांव गम मेरे दिल में आ गया.
प्यार जो मिला वो पल भर का खजाना था,
आज हँसना भी चाहूँ तो हर बात पे रोना आ गया।
दिल मेरा खुद ही दर्द का निशाना बन बैठा,
अब तो दर्द से मोहब्बत निभाना आ गया।
आज हर मंज़र आग का समन्दर लगता है,
पुराने ज़ख्म भरे भी न थे एक नया और दीवाना आ गया।
क्यों ये दुनिया मुझे अब रास नही आती,
टुकड़े बहुत है मगर दिल को समझाना आ गया।
काश तक़दीर का लिखा मेरा रब मोड़ दे,
मुझे भी मन्नतों की दहलीज पर यार मनाना आ गया।
दिल का हाल भी ज़हर सा हो गया है,
तेरी बेरुखी में भी अब मुझे,तुमको पाना आ गया।