पल भर की खुशी में गम
पल भर में खुशी में गम –
भारत वर्ष में शादी व्याह बहुत ही उत्साह उल्लास से होते है करोड़ों लाखो हज़ारों जिसकी जैसी हैसियत रहती है व्यय कर बहुत उत्साह से आयोजन करता है ।
रामनगर के बाबू कीरत सिंह के बेटे भूपति सिंह के शुभ विवाह का अवसर था जिसका इलाके में बड़ा शोर था ।
भूपति सिंह ने प्रादेशिक
प्रसाशनिक सेवा में चयनित होकर पिता किरत सिंह का मान बढाया था जिसके कारण भूपति का विवाह इलाके के दूसरे बड़े राजपुत परिवार सिंहपुर के ठाकुर जन्मेजय सिंह कि एकलौती बेटी मान्यता से होना निश्चित था।
तिलक की रश्म पूरी हो चुकी थी पूरे इलाके में इस बात की चर्चा थी कि ठाकुर जन्मेजय सिंह के पास किंतनी दौलत है उन्होंने कीरत सिंह का मुंह सोने चांदी रुपये पैसे आदि से बंद कर दिया और एलान किया था कि बरात में आकर उनके दरवाजे की शोभा बढ़ाने आने वाले हर बरातीं को एक घड़ी सूट एव ब्रीफकेस उपहार दिया जाएगा ।
बरात सजाने में किरत सिंह ने कोई कमी नही ऊठा रखी थी गांव के हर घर से एक बरातीं घोड़े हाथी ऊंट मोटर कार के काफिले आतिशबाजी बाई जी का नृत्य आदि आदि जाने क्या क्या व्यवस्था कर रखी थी।
बारात चलने की तैयारी हो रही थी पूर्वांचल एव बिहार में यह प्रचलन आम है कि बारात लड़की वालों के यहां प्रस्थान करने से पूर्व लड़के पक्ष वाले अपने गांव कुल देवी देवताओं की पूजा दूल्हे के साथ माँ दादी भाभी बहने एव अन्य परिजन करते है जिसे परछावन कहते है भूपति के परछावन की तैयारी चल ही रही थी ।
कपड़े पहनने की रश्म होने वाली थी तभी भूपति को ध्यान आया कि टाई कुछ मुड़ी चूड़ी है उंसे प्रेस करना है ।
वह गए इलेक्ट्रिक प्रेस के प्लग को विद्युत साकेट से ज्यो जोड़ने लगे बिजली ने उन्हें चिपका लिया और तब नहीं छोड़ा जब वह निष्प्राण नहीं हो गए ।
इधर घर वालो परछावन के कार्यक्रम में व्यस्त जब उन्हें खोजने लगें और देखा कि वह मृत पड़े है सारा वातावरण मातम में बदल गया ।
यह वह दौर था दस बीस गांवो के बीच किसी गांव में बिजली कनेक्सकन था वह भी डीसी करेंट और इलेक्ट्रिक आयरन बड़े आदमी के घर में ही उपलब्ध था।
पल भर में वातावरण भयावह विभत्स हो गया सभी एक ही बात कहते विज्ञान की तरक्की के सार्थक निरर्थक दोनों पहलू है अतः बहुत व्यवहारिक और विशेषज्ञ उपयोग ही सुरक्षित है।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।