पल पल का अस्तित्व
याद नही वो पल
दुनियां में रखा कब पहला कदम।।
माँ की लोरी याद नही
याद है माँ की ममता
के आँचल पल पल।।
याद नही बापू की गोदी ,कंधा
दुनियां में सबसे ऊंचा सिंघासन।।
कुछ कुछ याद आता है
माँ की उंगली पकड़ सीखा
खड़ा होना गिरना औऱ संभालने का पल पल।।
याद है बापू के संग विद्यालय का
प्रथम कदम पल
गुरु से बापू की आशाओं की
संतान का वर्तमान भविष्य की
चाहत वर्णन का वो पल।।
याद हमे आज भी वह पल
जब माँ बड़े गर्व से मेरे गुण गान
बखान करती हर पल।।
कभी कभी तो सुनने वाले
शर्माते मझ जैसा बनने को करते हकचल।।
पल पल दुनियां को समझने
की जिज्ञासा का पल ।।