Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Mar 2020 · 1 min read

पलायन का जन्म

हमने गरीब बन कर जन्म नहीं लिया था
हां, अमीरी हमें विरासत में नहीं मिली थी
हमारी क्षमताओं को परखने से पूर्व ही
हमें गरीब घोषित कर दिया गया

किंतु फिर भी
हमने इसे स्वीकार नहीं किया
कुदाल उठाया, धरती का सीना चीरा और बीज बो दिया
हमारी मेहनत रंग लाई, फसल लहलहा उठी

प्रसन्नता नेत्रों के रास्ते हृदय में
पहुंचने ही वाली थी कि अचानक
रात के अंधेरे में, भीषण बाढ़ आई
और हमारे भविष्य, भूत और वर्तमान को
अपने साथ बहा ले गई

हमारे साथ रह गया
केवल हमारा हौसला
इसे साथ लेकर चल पड़े हम
अपनी हड्डियों से
भारत की अट्टालिकाओं का
निर्माण करने

शायद बाबूजी सही कहते थे
मजदूर के घर
गरीबी के गर्भ में
पलायन ही पलता है।

:- आलोक कौशिक

संक्षिप्त परिचय:-

नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com
अणुभाष:- 8292043472

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
जीवन
जीवन
नन्दलाल सुथार "राही"
2557.पूर्णिका
2557.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
**विकास**
**विकास**
Awadhesh Kumar Singh
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
The_dk_poetry
पक्की छत
पक्की छत
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हे चाणक्य चले आओ
हे चाणक्य चले आओ
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
" हैं पलाश इठलाये "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
लक्ष्मी सिंह
गाँव से चलकर पैदल आ जाना,
गाँव से चलकर पैदल आ जाना,
Anand Kumar
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
पूर्वार्थ
मीलों की नहीं, जन्मों की दूरियां हैं, तेरे मेरे बीच।
मीलों की नहीं, जन्मों की दूरियां हैं, तेरे मेरे बीच।
Manisha Manjari
हुस्न अगर बेवफा ना होता,
हुस्न अगर बेवफा ना होता,
Vishal babu (vishu)
दिल में कुण्ठित होती नारी
दिल में कुण्ठित होती नारी
Pratibha Pandey
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कविता-हमने देखा है
कविता-हमने देखा है
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
खुद की एक पहचान बनाओ
खुद की एक पहचान बनाओ
Vandna Thakur
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
Pramila sultan
बढ़े चलो ऐ नौजवान
बढ़े चलो ऐ नौजवान
नेताम आर सी
"सुख के मानक"
Dr. Kishan tandon kranti
****जानकी****
****जानकी****
Kavita Chouhan
■ जंगल में मंगल...
■ जंगल में मंगल...
*Author प्रणय प्रभात*
आदित्य यान L1
आदित्य यान L1
कार्तिक नितिन शर्मा
ईर्ष्या
ईर्ष्या
Sûrëkhâ Rãthí
कविता की महत्ता।
कविता की महत्ता।
Rj Anand Prajapati
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
Neeraj Agarwal
गम के बगैर
गम के बगैर
Swami Ganganiya
आप दिलकश जो है
आप दिलकश जो है
gurudeenverma198
श्रृंगार
श्रृंगार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कूड़े के ढेर में
कूड़े के ढेर में
Dr fauzia Naseem shad
Loading...