पर क्या लिखूँ?
मैं चाहती हूँ लिखना,
कलम है मेरे हाथों में,
शब्दों की सम्पदा भी,,
विरासत मे मिली
अर्थों की थाती,,,
लिख सकती हूँ मैं,,,
पर क्या लिखूँ,,
तुम्हारे कोरे मनोरंजक का सामान बनूँ,
तुम्हें खुश करने का अरमान बनूँ,,
या वो सच ,,,
जो तुम्हें आईना दिखाए,,
जो तुम्हें तुमसे मिलवाए,,,
जो मुझे आईना दिखाए,,
मुझे मुझसे मिलवाए,,,
पर भाएगा हम सबको ये सब सुनना,,
क्या दे पाओगे
मुझे पुरस्कार
मानकर युगधर्म का कवि,,, ?
सोचना ,,,
मैं भी सोचती हूँ,,
तभी कहती हूँ
मैं चाहती हूँ लिखना,ञ
कलम है मेरे हाथों में,
शब्दों की सम्पदा भी,,
विरासत मे मिली अर्थों की थाती,,,
लिख सकती हूँ मैं,,,
पर क्या लिखूँ,,?
इन्दु