पर्यावरण है तो सब है
पर्यावरण है तो प्राण-वायु है,
स्वच्छता है,
स्वास्थ्य है।
पर्यावरण है तो जंगल (वन) है,
घर में मंगल है,
नहीं तो जिंदगी दंगल है।
पर्यावरण है तो वन है,
मन है,
अन्न हैं,
जन है,
धन है।
पर्यावरण है तो सूरज है,
चंद्र है,
नदी,तालाब में अमृत रूपी जल है,
सागर है।
पर्यावरण है तो पशु है,
पक्षी है,
कीट है,
पतंग है।
पर्यावरण है तो सुख है,
संपत्ति है,
सब कुशल है ,मंगल है,
पर्यावरण है तो,सब है,सब है।
रस-धारा
✍️लेखक -अमृत लाल सुथार रामगढ़