पर्यावरण संरक्षण
जल जीवन का सार है।
जल बिन नहीं जहान।।
जल दूषित होवे नहीं।
इसका रखना ध्यान।।
***************
जंगल अब रहते नहीं।
राम कहां अब जाय।।
चतुर्दशी कैसे कटे।
सत युग कैसे आय।।
**************
पेड कटे जंगल घटे।
धुंआ धुंध का जोर।।
दम घुटता है पवन का।
जाय कहां सुक मोर।।
***************
कल-2 दमकल कर रहे।
कानों में नित शोर।।
मन की शीतलता गयी।
चित चंचल मन चोर।।
****************
पंञ्च तत्व के योग से।
जगतीतल आबाद।।
छेड़छाड़ करके मनुज।
तुलने पर बर्बाद।।
******************
अपनी जड खुद खोदता।
कर कुदरत का नाश।।
कितने दिन रह पाएगा?
मानव का निज श्वास।।
****************
बहुत हो चुका जौर नर।
अब तो करो सुधार।।
जीवन ज्योति के लिए।
प्राण तत्व आधार।।
रचना – रामबाबू ज्योति, रामपुरी कालोनी, गुप्तेश्वर रोड, दौसा