पर्यावरण दिवस
मानव का है प्रकृति माँ से ,
एक ऐसा अनुपम नाता ।
इक दूजे के बिन रहना ,
अब नहीं किसी को भाता ॥1॥
हमें दिया है प्रकृति माँ ने,
बिन मांगें ऐसा वरदान ,
हम प्रकृति से प्रकृति हमसे ।
भागें सहयोग का दान ॥2॥
न फेंको तुम कचरा कूड़ा,
जो जाए कूड़ेदान से बाहर ।
स्वच्छ जीवन को अपना लो ,
बस यही मिला एक अवसर ॥3॥
अपने भविष्य के निर्माता,
तुम स्वयं ही जिम्मेदार हो।
प्रकृति को यदि कष्ट दिया तो ,
सजा के तुम हकदार हो ॥4॥
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार
02/07/ 2023