पर्यावरण क्षरण
पल पल बदल रहे मौसम की, हर ओर जहां में चर्चा है
घनघोर कहीं पर बर्षा है, कहीं सूखा और अवर्षा है
सूरज से आग बरसती है, कहीं हाड़ कपाती सर्दी है
पल पल बदल रहे मौसम की, हर ओर जहां में चर्चा है
तूफान कहीं पर आंधी है, भूकंप और बर्बादी है
गिरती है भारी बर्फ कहीं, बादल फटने की चर्चा है
पल-पल बदल रहे मौसम की, हर ओर जहां में चर्चा है
क्यों पल-पल बदल रहा मौसम?
क्यों सूरज आग उगलता है? क्यों अतिवृष्टि अवर्षा है?
क्यों धरा संतुलन खोती है?ओजोन परत क्यों फूटी है?
क्यों बदल रहा दुनिया का मौसम?क्यों सांसत में जान हुई?
बेमौसम फिर गरजे बादल बे मौसम बरसात हुई ?
पल-पल बदल रहे मौसम की, हर ओर जहां में चर्चा है
छेड़छाड़ प्रकृति से अब, महंगी पड़ जाएगी
अगर ना चेते हम अब भी, तो दुनिया ही मिट जाएगी
आओ करें संकल्प सभी, पर्यावरण बचाने का
जल जंगल जमीन और नदियों को, महकाने का
आओ करें संकल्प सभी, प्रदूषण न फैलाने का