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25 Apr 2022 · 1 min read

परेशां हूं बहुत।

दिल गमज़दा है परेशां हूं बहुत।
अश्क अफशुर्दा है परेशां हूं बहुत।।1।।

दिल ने अय्यारियाँ नही सीखी।
खुशी में इब्तिला है परेशां हूं बहुत।।2।।

मोहब्बत में उठाए बड़े गम है।
अभी तो इब्तिदा है परेशां हूं बहुत।।3।।

कैसे पार होगा सफर ए सहरा।
हमसफर कोई ना है परेशां हूं बहुत।।4।।

बड़े दिनों से पैदल चल रहा हूं।
अभी दूर मक्का है परेशां हूं बहुत।।5।।

यूं कुदरत भी बडी खामोश है।
बहारों में खिजां है परेशां हूं बहुत।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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