परी छाया
तेरे नैन विचारे कैसे है,
अफ़सोस कटारे जैसे है।
जब-जब सम्मुख ये आते है,
जलते अंगारे जैसे है।।
तेरी कोमल सी काया,
लिए शीतल सी छाया,
जहाँ लदे सितारे है,
परियों की छाया सी।।
तुम्हे छिपके जब भी देखा,
तेरे नयन नज़र ही आते।
मजबूर तेरी अखियों से,
हम जीते जी मर जाते।।
तेरे मस्तक के तारे है,
अपने दिल के पैनारे है।
दो नयन हजूरी के,
किसी चाहत के पिटारे है।।