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9 Jul 2024 · 1 min read

“परिस्थिति विपरीत थी ll

“परिस्थिति विपरीत थी ll
मगर उम्मीद थी जीत की ll

पिछली हार से‌ जाना,
हार नहीं वह सीख थी ll

आलोचनाओं को चुपचाप सुना,
हममें धेर्य था, हममें तमीज थी ll

कभी किसी ने सुना ही नहीं,
जबकि चुप्पी में बहुत चीख थी ll

हार की रार से पिघल चुकी थीं,
जीत पर आंखें क्यों न पसीजती ll”

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