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8 Sep 2024 · 1 min read

परिस्थिति और हम

गुमान ख़ुद पर, पर सब परिस्थितियों के सहारे हैं ,
अदना सा ख़ुद और ख़्वाहिशें बेहिसाब पाले हैं l

हवा जैसी चले, उसी दिशा बहने में, ही समझदारी,
मूरख, तू ,अपनी नाव की पाल, उल्टी दिशा में ताने है ।

अपने ग़मों रंज को अज़ीज़, अपना हमसफ़र मानों,
ख़ुशिया जब अपनी हैं ,तो क्यों लगते ग़म बेगाने हैं ।

अपने बुरे समय से बात करना,
वे खूब बातें करेंगे,
ये वो अच्छे समय नहीं हैं,
जो हर बात पर बहका करेंगे ।।

डा राजीव “सागरी”

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