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15 Sep 2024 · 1 min read

“परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति

“परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति
तथा भाग्यं शयनिकातुल्यम्।
शयनिका काले स्थगितुं शक्यते परन्तु सोपानं सर्वदा उपर्युपरि एव नयति।”

मेहनत सीढ़ियों की तरह होती हैं
और भाग्य लिफ्ट की तरह !
किसी समय लिफ्ट तो बंद भी हो सकती हैं,
पर सीढ़ियाँ हमेशा
ऊंचाई की तरफ ले जाती हैं……।

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