“परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति
“परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति
तथा भाग्यं शयनिकातुल्यम्।
शयनिका काले स्थगितुं शक्यते परन्तु सोपानं सर्वदा उपर्युपरि एव नयति।”
मेहनत सीढ़ियों की तरह होती हैं
और भाग्य लिफ्ट की तरह !
किसी समय लिफ्ट तो बंद भी हो सकती हैं,
पर सीढ़ियाँ हमेशा
ऊंचाई की तरफ ले जाती हैं……।