परिवार
माता-पिता है पूजनीय,करो इनका सम्मान,
जिससे इनका दिल दुःखे, मत कर ऐसे काम।
सब रिश्ते अनमोल है,समझो दिल की बात,
छोटी-छोटी बात पर,क्यों करते उत्पात।
कहानियों की पोटली,दादी-नानी का साथ,
इनकी सेवा से मिलें,सबसे बड़ी सौगात।
बुआ-मौसी के प्यार का,कैसे करो हिसाब,
सब कुछ न्यौछावर करें, ऐसे उनके जज्बात।
कैसी भी विपदा पड़े,नही मानते हार,
ये माली उस बाग के,कहते जिसे परिवार।
ऊँच-नीच को छोड़िये, हृदय को दीजिये विस्तार,
सिंह ,मूषक एक संग रहे,यही है शिव परिवार।
चार लोग जब संग रहे,होता जरूर मत-भेद,
मत को मत उलझाइये,मन को रखिये नेक।
विश्वास रखिए हृदय में,मिल -जुल कीजे काज,
है कोई रूठा हुआ,मना लीजिये आज।
प्रिया खरे